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Monday 27 August 2018

बुक चोर


बुक चोर 

      पिताजी को किताबें पढने का बहुत शौक था .. थोडा बहुत शौक मुझे भी है .. अच्छी किताबें नज़र आते ही खरीदने का लोभ संवरण इसलिए नहीं कर पाता कि न जाने कब पढने की सनक चढ़ जाए ! पुस्तक मेले से बेटी ने कुछ पुस्तकें खरीदी मैंने ..अबकी बार दो-एक पुस्तक खरीदी .. जाने-माने लेखकों के विचार सुने और चला ...हैंडीक्राफ्ट म्यूजियम देखने .. सनक चढ़ी तो पुस्तक मेला फिर जाऊँगा...
खैर ! ऐसे साथियों को क्या कहियेगा जिनको न किताब खरीदनी है ! न पढनी है ! 
बस ! किसी के पास किताब देखते ही उनका किताब पढने का शौक कुलांचे मारने लगता है .. झट से पुस्तक मांग ले जाते हैं.... उत्सुकता इतनी दिखाते हैं कि मना भी नहीं किया जाता ! 
ऐसे साथी कई बार कहने के बाद भी लौटाते नहीं, क्योंकि उन्होंने घर पहुंचकर उस पुस्तक को न पढ़ा न तवज्जो जी.. लिहाज़ा पुस्तक या तो चूहे कुतर गए या कबाड़ी वाले को दे दी गई.. अंत में पुस्तक को गायब मानकर दिल को मनाना पड़ता है ..


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