जब
शिक्षार्थी किताबों में छपे प्रकरण से उबने लगें तो जिस वातावरण से उनका
रोज वास्ता पड़ता है उसे ही विषय प्रकरण से जोड़कर रोचकता बढ़ाई जा सकती है ..
आज अपनी कक्षा-तृतीय, में नीम की उपयोगिता समझा रहा था तो सहसा ही विद्यालय में, अब विशाल
आकर ले चुके पेड़ की याद आ गयी .. सब बच्चे जानते हैं कि उस नीम को मैंने
लगाया था.. इस कारण उससे उनको लगाव भी है. बस फिर क्या था, प्रकरण को उस
नीम के पेड़ से जोड़कर छात्राओं के सहयोग से उन्ही की भाषा में,धीरे-धीरे
बढ़ते हुए, इस बाल कविता का जन्म हो गया !! ... मजे की बात !!! बच्चों ने
स्वयं ही इस कविता को एक्शन बेस्ड भी बना दिया !!! धन्यवाद, मेरी प्रिय
छात्राओं..
प्रकरण में रोचकता भी आ गयी.. वृक्ष लगाओ का सन्देश भी दे
दिया .. और छात्राओं में साहित्यिक सृजन का अंकुर भी प्रस्फुटित हो गया
.... अर्थात एक पंथ तीन काज !!
>>> नीम का पेड़ <<<
सुबह सवेरे सबसे पहले
गेट से दिखता प्यारा नीम,
सुबह-सुबह जब स्कूल पहुंची
सो रहा था प्यारा नीम,
झट मैंने जो उसको पानी डाला
सोकर जागा प्यारा नीम,
लेकर अंगडाई टहनियां हिलाता
खिल-खिलाकर हंसा प्यारा नीम,
बच्चे खुश होकर जा लिपटे
सबको भाता हरा-भरा प्यारा नीम,
आओ सब मिलकर पेड़ लगायें
रोग भगाता मनभावन प्यारा नीम.
^^ विजय जयाड़ा व कक्षा-3 की छात्राएं