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Tuesday 8 December 2015

हमारा हरा-भरा विद्यालय



हमारा हरा-भरा विद्यालय

नित नूतन जीवन..
स्फूर्ति तन मे पाता हूँ,
रोज प्रात मतवाले उपवन में
खुद से ही मिल पाता हूँ,
बीत गया जो बचपन मेरा
उसका दीदार कर पाता हूँ
कल्पना सागर में नित गोते
विद्या उपवन में लगाता हूँ,
मूर्त रूप पाने की चाह में
कुछ नव सृजन पुष्प उगाता हूँ.

  विजय जयाड़ा
 

Thursday 3 December 2015

जज्बातों के सैलाब में अक्सर अल्फ़ाज़ बह जाते हैं



जज्बातों के सैलाब में अक्सर अल्फ़ाज़ बह जाते हैं
होंठ बुदबुदाते हैं मगर स्वर कुंद पड़ जाते हैं,
कहने की जिद में भूल हो तो जज्बातों को सजा देना
आपका साथी हूँ साथियों, मुझे माफ कर देना ..

... विजय जयाड़ा

        साथी अध्यापिका श्रीमती शीला देवी जी के सेवानिवृत्ति सम्मान कार्यक्रम में प्रधानाचार्या श्रीमती कमलेश जी द्वारा सौंपी गई मंच संचालन की कठिन जिम्मेदारी की शुरुआत इस शेर से की !!
       मैं स्वयं भी भावुक प्रकृति का हूँ और विदाई के भावनात्मक माहौल में मंच संचालन विधा से मैं कितना न्याय कर पाया, ये तो कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगण ही ज्यादा बेहतर बता सकेंगे लेकिन आज मैं आत्मविश्वास बटोरने में सफल अवश्य रहा।

        कलाम साहब ने कहा है .. उत्कृष्ठता, आकस्मिक घटना नहीं !! निरंतर कार्य करते रहने से उत्कृष्ठता प्राप्त होती है.
          तस्वीर की पृष्ठभूमि में श्यामपट्ट सज्जा पर भी मैनें ही हाथ आजमाए हैं।