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Wednesday, 6 July 2016

क्या हुआ गर मिट गये अपने वतन के वास्ते।



क्या हुआ गर मिट गये अपने वतन के वास्ते।
बुलबुलें कुर्बान होती हैं चमन के वास्ते॥
......पंडित राम प्रसाद बिस्मिल
 
       आज सुबह नहाकर जब घर से बाहर पार्क की रेलिंग पर गीला तौलिया फैला रहा था तो स्वतंत्रता संग्राम में देशभक्ति का जज्बा उत्पन्न करने वाली कई गजलों में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा प्रतीक रूप में प्रयोग किये गए ' बुलबुल ' के जोड़े और उनके बच्चे को घर के सामने लगाये गए पेड़ों में फैली मधुमालती की बेल के झुरमुट में छिपा देखा..
      दोपहर स्कूल से घर आया तो बच्चा वहीँ बैठा था .. शाम को देखा फिर वहीँ !!
      इस दौरान नर और मादा बुलबुल बारी-बारी उसके लिए दाना लेकर आते तो शान्त बैठा बच्चा खुशी में बहुत तेज पंख फड़-फड़ाते हुए चैं-चैं करके ख़ुशी का इज़हार करता. ममता, वात्सल्य और अनुशासन का अनुपम नजारा देखते ही बनता था.
       इस दौरान मैं बाहर निकलकर देखता तो डरने की बजाय बुलबुल फुर्र से करीब आकर पार्क की रेलिंग पर बैठकर मुझसे मुखातिब होकर चिंचियाकर अपनी बोळी में कुछ कहती .. शायद कहती होगी !!.. " मेरे बच्चे का ख्याल रखना !! " पत्नी ने बताया खिड़की में एक कौवा, बच्चे के शिकार की टोह में बैठा रहता है.. यह क्रम दिन भर लगभग बारह घंटे चला. शाम को कब बुलबुल जोड़ा अपने बच्चे को उड़ाकर ले गया ! पता न चला !! मुझे पूरा यकीन है कि कल फिर बुलबुल का जोड़ा इसी सुरक्षित जगह अपने बच्चे को लेकर आयेंगा.
       बुलबुल का बच्चा दिन भर एक ही जगह पूर्ण अनुशासन में बैठा रहा ! नींद आती तो वहीँ सो जाता लेकिन इधर-उधर जाने की जरा भी कोशिश न करता , इस पक्षी अनुशासन पर आश्चर्य हुआ !!
जब इस फ़्लैट पर आया था तो पार्क में मात्र एक छोटा सा कीकर का पेड़ था उसी की छाया में बैठकर काम करवाया. उसके बाद पूरे पार्क में सबने मिलकर खूब पेड़ लगाये. अब आलम ये है कि किसी पक्षी विहार की तरह अलग-अलग मौसम में रंग-बिरंगे पक्षी यहाँ आकर अपना बसेरा बना लेते हैं. जिनको देखना एक अलग ही आनंद देता है.
       कंक्रीट के बढ़ते जंगलों के बीच पक्षियों के आसरे के लिए प्राकृतिक वातावरण अर्थात पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करना वक्त का तकाजा है. अत: वृक्षारोपण जरूरी है तभी हम स्वयं को प्रकृति के बीच पा सकते हैं..साथ ही बच्चों को प्रकृति मित्र होने के संस्कार भी दे पाएंगे.. कहीं ऐसा न हो कि पक्षियों के प्रति हमारी संवेदनहीनता के कारण आने वाली पीढ़ी के लिए ये पक्षी, कहानी और किस्सों का पात्र बन कर यादों और कल्पनाओं में ही सिमट कर न रह जाएँ !!
कैमरा बेटी के पास ऋषिकेश में होने के कारण बुलबुल परिवार की दिनचर्या की तस्वीर न ले सका ...
तस्वीर साभार :गूगल


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