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Thursday, 4 August 2016

वंश





               बागवानी भूमि क्षेत्र के अनुपात में बागवानी विभाग में नियुक्त मालियों की संख्या कम होने से कई बार फोन करने के बावजूद आज भी माली बचे शेष पौधे लगाने नहीं पहुँच सके.
              सोचा ! अपना हाथ.. जगन्नाथ !! कहीं परसों के बाकी बचे पांच पेड़, रखे-रखे सूख न जाएँ इसलिए स्वयं ही मध्यावकाश समय का उपयोग कर रोपित कर दिए लेकिन तभी देखता हूँ कि बच्चों के अलग-अलग समूह, रोपे गए पौधों के ट्री गार्ड्स पर कागज की चिट बाँध रहे हैं !!
जिज्ञासा में एक ट्री गार्ड के पास खड़े बच्चों से पूछा “ बेटा ! ये क्या कर रहे हो ! “
             बच्चों से जवाब मिला, “ सर जी ! अब ये पेड़ हमारा है हम इसको पानी देंगे और देखभाल करेंगे.” .
              मेरे प्रसन्नता मिश्रित विस्मय का ठिकाना न रहा !! आगे बढ़कर चिट को पढ़ा... उस पर तीनों बच्चों के नाम लिखे थे .. छाया, कनिष्का, मानसी, कक्षा- चतुर्थ ‘ ब ’, बच्चों ने इस पौधे को “ वंश “ नाम देकर नामकरण भी कर दिया गया था ! संस्कारवान शिक्षा प्रदान करने हेतु इन बच्चों की अध्यापिका कुमारी रानी, (Riya Soni) निश्चित ही बधाई की पात्र हैं.
               पौधों की देखभाल में बच्चों का सहयोग अवश्य लेता हूँ लेकिन ईमानदारी से बताता चाहूँगा कि इस सम्बन्ध में मैंने बच्चों का मार्गदर्शन नहीं किया था. यदि छोटे-छोटे बच्चे स्वयं ही सार्थक पहल कर रहे हैं तो मान लिया जाना चाहिए कि बच्चे, निश्चित ही विद्यालय में होने वाली गतिविधियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कुछ सीख रहे हैं ..
               इस मौसम में वृक्षारोपण कोई नया विषय नहीं ! लेकिन बच्चों में पर्यावरण मित्र होने के संस्कार घर कर जाना मेरे लिए कौतूहल व प्रसन्नता विषय है !!



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