ad

Friday, 19 August 2016

अपना हाथ जगन्नाथ ...



अपना हाथ जगन्नाथ ...

         स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विद्यालय स्तर पर बच्चों की दौड़-कूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी हैं. कूद प्रतियोगिता के लिए लिए बच्चों के चयन के लिए मैदान बनना था, भरान में ईंट और पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़ों के कारण मैदान काफी सख्त और पथरीला है. जिसे इस उमस भरी गर्मी में खोद पाना आसान काम न था. मजदूर ने कुछ समय बाद आने को कहकर निराश कर दिया !
      मुझे बच्चों का चयन करना था, “ अपना हाथ जगन्नाथ !! " .. अत: फावड़ा लिया और स्वयं ही खोदने लगा, मुझे अकेला खुदाई करता देख कर साथी अध्यापिका ने भी हाथ बंटाना शुरू कर दिया.. अब एक से भले दो !! जब मजदूर आया तब तक हम कूद के लिए वांछित तीन चौथाई क्षेत्र खोद चुके थे. अत: अब उसकी आवश्यकता न थी.
      अभ्यस्त न होने के कारण भले ही हम दोनों के हाथों में छाले आ गए थे लेकिन अपने अनुसार बच्चों के लिए कंकड़-पत्थर रहित सुरक्षित कूद का स्थान बना कर हमें संतोष था और अब हमारे पास बच्चों के चयन के लिए पर्याप्त वक्त भी शेष था.


No comments:

Post a Comment