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Wednesday 30 March 2016

पेशावर कांड









       

पेशावर कांड

             23 अप्रैल 1930, पेशावर कांड द्वारा इंसानियत को बुलंद करने वाले, उत्तराखंड, जनपद पौड़ी के हवलदार मेजर चन्द्र सिंह भंडारी, इंसानियत के महानायक, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के रूप में याद किये जाते हैं और भविष्य में भी श्रद्धा पूर्वक, प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में याद किये जाते रहेंगे ..
              सीमान्त गाँधी, खान अब्दुल गफ्फार खान द्वारा सृजित खुदाई खिदमदगार के निहत्थे पठान कार्यकर्ता जब खिलाफत आन्दोलन के तहत पेशावर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे ब्रिटिश सेना के अंतर्गत कार्य कर रही रॉयल गढ़वाल रायफल के अंग्रेजी कमांडर ने प्रदर्शनकारियों पर “ ओपन फायर “ का आदेश दिया लेकिन परिणाम को समझते हुए भी मातृभूमि के पुजारी चन्द्र सिंह भंडारी ने उनके आदेश की नजरअंदाज करते हुए आदेश दिया “ सीज फायर “ !!! रॉयल गढ़वाल रायफल के जवानों ने गोली चलाने से इनकार कर दिया.परिणाम स्वरुप सभी का कोर्ट मार्शल कर दिया गया . अलग-अलग तरह की सजाएँ भी दी गयी... लैंसडाउन से गए बैरिस्टर मुकंदी लाल की पैरवी के फलस्वरूप वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को मृत्युदंड, की जगह आजन्म कारावास की सजा सुनाई गयी ..
      पिताजी पौड़ी में पूर्व सैनिकों के पुनर्वास को देखने वाले विभाग में कार्यरत थे तो वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली उनके ऑफिस में आया करते थे अत: मेरा भी उनसे साक्षात्कार हो जाता था !! आज प्रेरक व्यक्तित्व की तस्वीर स्वाभाविक रूप से मानस पटल पर श्रदापूर्वक उभर आई 
 
 
 

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