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Monday 17 August 2015

मेरे शैक्षिक अनुप्रयोग : कक्षा में भाषा असजता


मेरे शैक्षिक अनुप्रयोग : कक्षा में भाषा असजता 

               मनोभावों को समझने का सबसे आसान माध्यम भाषा है. बहु भाषी व विविध संस्कृति संपन्न भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भारतीय भाषाओँ को मान्यता दी गयी है. आजादी के बाद भाषा विवाद से निपटने के लिए त्रिभाषा फ़ॉर्मूला बनाया गया था, इसको तैयार करने की शुरुआत 1960 के दशक में हुई जिससे उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों में भाषाई एक रूपता आ सके. इस त्रिभाषा फ़ॉर्मूला के तहत हिंदी भाषी राज्यों में छात्रों को जो तीन भाषाएँ पढाई जानी थी उसमे हिंदी अंग्रेजी और एक आधुनिक भारतीय भाषा (बांगला, तमिल, तेलगु, कन्नड़, असमिया,मराठी, और पंजाबी) शामिल थी ..
              इस त्रिभाषा फ़ॉर्मूला को तमिलनाडु के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में बेहतर तरीके से लागू किया गया लेकिन हिंदी भाषी क्षेत्रों में इस फ़ॉर्मूले को लागू करने में लापरवाही हुई.
             अब विषय पर आता हूँ, तस्वीर में मेरे साथ कड़ी बच्ची प्रवीना है, काफी पहले इसकी माँ स्वर्गवासी हो गयी और कुछ माह पूर्व पिता का भी देहांत हो गया !! इस कारण ये बच्ची तमिलनाडु से दिल्ली अपने ताऊ जी के पास रहने आ गयी.
             जब इसका प्रवेश हुआ तो साथी अध्यापिका इसको मेरे पास लायी और बोली, इसको हिंदी पढना बिलकुल भी नहीं आता !!
              मैंने कहा, जिनको पढना नहीं आता, सरकार उनको पढ़ाने के लिए ही तो हमें वेतन देती है, जिनको पढना-लिखना सब कुछ आता है उन तैयार बच्चों के लिए तो पब्लिक स्कूल खुले हैं !! और इस बच्ची को अपनी चौथी कक्षा में मैंने दाखिल कर दिया !
              एक-दो दिन तो ये बच्ची कक्षा में सामान्य रूप से बैठी रही लेकिन तीसरे दिन जोर-जोर से रोती दिखी !! मैं कक्षा में आई नयी बच्ची की असहजता समझ गया ! प्रवीना का मनोबल बढाने के उद्देश्य से कुछ विकल्प सुझाता तो प्रवीना झटके से गर्दन हिलाकर मना कर देती !!
              कुछ देर बाद मैं समझ गया ! प्रवीना मेरी हिंदी में कही गयी बातों को समझ ही नहीं रही थी !! केवल अलग कक्षा में पढने वाली अपनी बहन के पास जाने की रट लगाये हुए थी !!
              अब मैंने व्यावहारिक धरातल पर उतरना उचित समझा, प्रवीना की बहन को बुलाकर प्रवीना से प्यार से पूछा कि माँ और पिता को तमिल में क्या कहते हैं ?? फिर श्याम पट्ट पर भी तमिल में लिखने को कहा. जब उसने लिख दिया तो ..प्रवीना के तमिल ज्ञान पर सारे बच्चों से ताली बजवाई. अब तो प्रवीना अब सहज थी और उसके चेहरे पर मुस्कराहट उतर आई !!
             प्रवीना से मैंने कहा, मुझे तमिल नहीं आती और आपको हिंदी !! अब से आप मुझे तमिल सिखाना और मैं आपको हिंदी सिखाऊंगा..यह सुनकर प्रवीना और भी खुश हो गयी.
              हिंदी और तमिल भाषाई धरातल पर हम दोनों, एक दूसरे के लिए एक ही स्तर पर हैं.. बल्कि प्रवीना मुझसे आगे है, क्योंकि वो कुछ ही दिनों में हिंदी समझने और थोडा बहुत बोलने भी लगी है. मैं भी प्रयास रत हूँ. प्रवीना से रोज बोलचाल के दो तीन वाक्य सीखता हूँ ..
भोजनावकाश समाप्त हुआ तो मैंने पूछा ,.. " प्रवीना !!, सापड़ साप्टिया ???
प्रवीना बोली, " सापटे " और हम दोनों हंस पड़े 

बहरहाल !!अब प्रवीना बहुत खुश है...
अब प्रवीना बहुत खुश है...


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