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Friday 7 August 2015

एक मार्मिक संवाद : महा मानव कलाम

 

एक मार्मिक संवाद : महा मानव  कलाम 

 

‘‘तुम्हारा भाई अखबार बेचता था और राष्ट्रपति बन गया था। तुम अभी भी टूटे छाते ठीक करते हो?’’
‘‘मेरे भाई ने मिसाइलें बनाई और देश को सुरक्षा का छाता दिया और मैं छाते ठीक करके लोगों के सिर को सुरक्षा दे रहा हूं।’’

‘‘लेकिन लोग तो आतंकी याकूब की बीवी को सांसद बनाने की वकालत कर रहे हैं, वह बने या नहीं आप तो बन ही सकते थे?’’
‘‘संसद में विद्वान होने चाहिए, मेरे जैसे कारीगर नहीं, मेरे जैसे इंसान कारखानों की शोभा होते हैं संसद की नहीं। मेरे लिए मेरी दूकान किसी संसद से कम नहीं, क्योंकि यह दूकान पवित्र भारत भूमि पर है।’’
‘‘उन्होंने वसियत तो बनाई होगी, बड़ा भाई होने से आप तो वैसे भी करोडपति बन गए होंगे, फिर दूकान का दिखावा क्यों?’’
‘‘वे सब चल-अचल संपत्ति जो उनके नाम थी, मेरी ही सलाह पर देश के कल्याणकारी कार्यो के लिए देश के नाम कर गए हैं, इससे अच्छी वसियत और क्या हो सकती थी!’’
एक इंटरव्यू के आधार पर..... 

    माननीय कलाम जी के बडे भाई जी के साक्षात्कार के कुछ अंश..

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