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Thursday 20 August 2015

व्यवहार में शिक्षा: वृक्ष मित्र शिक्षार्थी

 

व्यवहार में शिक्षा: वृक्ष मित्र शिक्षार्थी

            विद्यालय में रेतीली जमीन है तो वृक्ष की जड़ें मजबूती से जमीन को नहीं पकड़ पाती. इस कारण अधिक शाखाओं और पत्तियों के वजन के कारण वृक्ष एक तरफ झोक खाकर गिर सकता है. गत वर्ष ये पेड़ इसी कारण गिर गया था तब छोटा था तो किसी तरह संभाल लिया . लेकिन अब बड़ा और वजनदार हो गया है, अत: एक बार पेड़ के गिर जाने के बाद उसे संभाल पाना नामुमकिन होगा !!
            विद्यालय परिसर में पेड़-पौधों की देखभाल यदि एक टीम वर्क के तहत हो तभी विद्यालय में हरियाली संभव है, इस दिशा में हम भाग्यशाली हैं कि हमारी प्रधानाचार्या श्रीमती कमलेश जी (तस्वीर में) सेवानिवृत्ति के करीब होने के बावजूद भी बहुत ही उत्साही, कर्मठ व कर्तव्यनिष्ठ प्रधानाचार्या हैं.इस कारण विद्यालय परिवार का कार्य करने का उत्साह दुगना हो जाता है !! आज मध्याह्न भोजन व मध्यावकाश समय का उपयोग कर उमस भरे गर्म मौसम में साथी अध्यापक श्री गिरीश जी के साथ पेड़ों की छंटाई कर कक्षा में पहुंचा.
          सोचा !! दो मिनट पंखे की हवा में पसीना सुखा लूँ !! लेकिन तभी मेरी कक्षा की छात्रा, अरीबा, तुनकती सी बाल नाराजगी जताती हुई, मेरे पास आई और एक सांस में कई सवाल कर बैठी !!.. “ सर जी !! आप हमें पेड़ों की देखभाल करने को कहते हैं !! पेड़ उखाड़ने व तोड़ने को मना करते हैं !! आप ये भी बताते हैं कि पेड़- पौधों को तोड़ने व काटने से हमारी तरह दर्द भी महसूस होता है !! फिर आपने पेड़ की टहनियां क्यों काट दी ! उनको भी तो दर्द हुआ होगा !! उसकी पत्तियां भी टहनियों के साथ गिर गयी अब वो खाना कैसे बनाएगा !!
        अरीबा, अपने बाल मन में उठ रहे प्रश्नों के उत्तर जानने हेतु दृढ थी !! अब तो कक्षा की दूसरी छात्राएं भी प्रश्न वाचक निगाहों से मेरी तरफ देख रही थी !!
साथियों, मैं अक्सर बच्चों को वृक्ष मित्र होने के लिए प्रेरित करता रहता हूँ. बच्चे भी पेड़-पौधों की देखभाल मन से करते हैं. कुदरती आज कक्षा में भी सुबह मैंने उनको वृक्ष की पूरी फिजियोलोजी पूर्ण मनोयोग से समझाई थी !!
           मैंने धैर्यपूर्वक अरीबा के प्रश्न सुने. साथ ही मन ही मन मुझे यह जानकार बहुत प्रसन्नता भी हो रही थी कि पेड़-पौधों से मित्रभाव अपनाने के जिस तरह के संस्कार मैं बच्चों के मन मस्तिष्क पर अंकित करना चाहता था, उनमे मैं काफी हद तक सफल भी हुआ !!
            बहरहाल ! मैंने कक्षा में अरीबा की जिज्ञासा का पूर्ण मनोयोग से उचित समाधान किया तो अरीबा और दूसरी छात्राएं संतुष्ट हो गयी साथ ही छात्राओं को पेड़-पौधों की देखभाल के सम्बन्ध में अनायास ही व्यवहारिक रूप में सहजता से नया ज्ञान मिल गया !!
                 पोस्ट में अरीबा प्रकरण, पट कथा लेखन न होकर पूर्णतया यथार्थ परिपूर्ण है..

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