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Sunday 5 June 2016

कुदरत !!



       कुदरत !!

           स्कूल में छुटियाँ हैं आज मेरी ड्यूटी लगी थी. सुबह से ही काफी गर्मी थी स्कूल पहुँचते ही आदतन पक्षियों के गंदले और गर्म हो चुके पानी को बदला, पक्षियों को रोटी दाना डालकर गमले में लगे पौंधों को पानी देने और विद्यालय के सामान्य कार्य निपटाने के बाद कार्यालय के दरवाजे के पास बैठ गया.
गर्मी के कहर से बेहाल पक्षी व गिलहरी बारी-बारी से अपनी प्रजाति की टोलियों में आते और       

         फुदक-फुदक कर अपनी बोली में बतियाते हुए साथियों के साथ एक ही स्थान पर पड़े दाने और रोटी को बिना किसी लड़ाई - झगडे के खा रहे थे और सभी एक ही बर्तन से पानी भी पी रहे थे. कुछ देर दाना चुगकर पेड़ की शाखों पर बैठकर झूलते हुए बतियाते, फुर्र से आस-पास उड़ कर जाते लेकिन फिर पानी के डिब्बे के पास आ जाते !
          उनकी गतिविधियाँ देखने में बहुत आनंद आ रहा था. हालाँकि नए परिवेश में असहज प्रवासी नए नवेले पक्षियों के अलावा अन्य पक्षियों को मुझसे किसी प्रकार का भय महसूस नहीं हो रहा था लेकिन उनके स्वाभाविक व्यवहार को कैमरे में कैद करने के प्रयास में, मैं किसी तोपची की तरह कैमरा लिए दरवाजे की आड़ में बैठकर उनकी तस्वीर क्लिक करता रहा. इस क्रम में गर्मी का भभका फेंकते पंखे में भी समय कब बीत गया पता ही न लगा !!
        हालाँकि प्रवासी सुन्दर रंग-बिरंगे पक्षी मेरे कैमरे की जद में न आ सके लेकिन इस पोस्ट के माध्यम से जो प्रस्तुत करना चाहता हूँ उसके लिए पर्याप्त तस्वीरें मुझे मिल ही गयी ..


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