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Tuesday 3 May 2016

ऐसे थे शास्त्री जी .



      ऐसे थे शास्त्री जी ....
       शास्त्री जी ने अपने पद या सरकारी संसाधनों का कभी दुरुपयोग नहीं किया। शास्त्री जी जब 1964 में प्रधानमंत्री बने, तब उन्हें सरकारी आवास के साथ ही इंपाला शेवरले कार मिली, जिसका उपयोग वह न के बराबर ही किया करते थे। वह गाड़ी किसी राजकीय अतिथि के आने पर ही निकाली जाती थी.एक बार उनके पुत्र सुनील शास्त्री किसी निजी काम के लिए इंपाला कार ले गए और वापस लाकर चुपचाप खड़ी कर दी। 

            शास्त्रीजी को जब पता चला तो उन्होंने ड्राइवर को बुलाकर पूछा कि कल कितने किलोमीटर गाड़ी चलाई गई और जब ड्राइवर ने बताया कि चौदह किलोमीटर तो उन्होंने निर्देश दिया, 'लिख दो, चौदह किलोमीटर प्राइवेट यूज।' शास्त्रीजी यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने अपनी पत्नी को बुलाकर निर्देश दिया कि उनके निजी सचिव से कह कर वह सात पैसे प्रति किलोमीटर की दर से सरकारी कोष में पैसे जमा करवा दें।
             जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले,शास्त्री जी को आज भी सभी लोग बहुत श्रद्धा व सम्मान से याद करते हैं लेकिन केवल याद करने मात्र से राष्ट्र हित संभव नही ..केवल राज नेताओं पर ही दोष मढ कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर देना समाज हित और देश हित में कतई नही .
एक नारा याद आता है... " हम बदलेंगे.... जग बदलेगा, हम सुधरेंगे ...जग सुधरेगा "
               हर स्तर पर व्यक्ति को शास्त्री जी के आदर्शों पर चलने की, सख्त आवश्यकता समय की माँग है .आज भी शास्त्री जी एक प्रासंगिक व्यक्तित्व हैं ......
            
काश...!! आज समाज का हर व्यक्ति उनसे कुछ आदर्श ग्रहण कर पाता और उन्हें मूर्त रूप में परिणित कर पाता....!!!


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