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Friday 20 May 2016

परिवर्तन प्रकृति का नियम है



परिवर्तन प्रकृति का नियम है अत: जीवन में स्थिरता न आने दें ...

इस संसार में कुछ भी हमेशा के लिए एक जैसा रहने वाला नहीं है, यहां जो भी है वो परिवर्तनशील है, उसमें बदलाव अवश्य होगा . समय बीता हम बच्चे नहीं रहे ! अब जवान है , समय बीतेगा यह भी ढल जाएगा। शरीर तो प्रकृति से बना है जो परिवर्तनशील है, बस हम किसी काल में अटके नहीं, क्योंकि अच्छा समय हो या बुरा कुछ भी रुकने वाला या ठहरने वाला नहीं है, आप भले कितने भी खूबसूरत क्यों न हो एक न एक दिन चमड़ी ढल ही जाती है, संसार की सबसे खूबसूरत शख्सियत के प्रति प्रकृति यह नहीं सोचती कि इसको बूढ़ा नहीं करती! उसमें बदलाव जरूर होगा! बदलाव को स्वीकार करते जाओ तो कभी दु:ख नहीं होगा! शरीर तो बुड्ढा होगा ही लेकिन आप अपने मन को बुड्ढा न होने दो! शरीर यदि बुड्ढा हो भी गया तो मन से जवान रहो, तो आप बुड्ढे नहीं कहलाओगे। जैसे यदि आपका शरीर जवान हो और मन बुड्ढा हो तो आप जवान नहीं बुड्ढे ही कहलाओगे! आप शरीर का ध्यान रखो तो यह जल्दी बुड्ढा नहीं होगा और मन से खुश रहो
बहता जल अपनी अशुद्धियों को दूर कर गंगा जल बन सकता है जबकि स्थिर जल कीचड में परिवर्तित होने लगता है..! अत:,परिस्थितियाँ कैसी भी हों , जीवन में स्थिरता न आने दें.




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