आजकल गर्मियों की छुट्टियां हैं लेकिन विद्यालय में देखभाल के लिए सभी शिक्षको की ड्यूटी क्रम से लगायी जाती है , कल से चार दिन के लिए मेरी ड्यूटी प्रारंभ हुई . विद्यालय गया तो पानी की कमी के कारण पेड़ मुरझाये से दिखे, आजकल विद्यालय में दूसरा कोई काम न था तो सोचा इन पेड़ों को ही कुछ पानी पिला दूँ ....
दरअसल हम समाज की बुराइयां उकेरने में खूब समय जाया करते हैं ! खूब रोष व्यक्त करते है !! लेकिन समाज और प्रकृति ने हमें जो कुछ उपयोगी दिया क्या हम उसके प्रति कृतज्ञत हैं ! शायद नहीं !
शायद ही किसी को वृक्षों और हरियाली से कोई शिकायत हो लेकिन क्या इस चिलचिलाती गर्मी में हम उनके प्रति कृतज्ञ भाव प्रदर्शित करते हैं ?
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