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Saturday, 2 April 2016

हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति व देश की 780+100 भाषाएँ



 हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति व देश की 780+100 भाषाएँ

         हिन्दी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द सिन्धु से माना जाता है। 'सिन्धु' सिन्ध नदी को कहते थे ओर उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया। बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा हिन्द शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया। इसी में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से (हिन्द ईक) ‘हिन्दीक’ बना जिसका अर्थ है ‘हिन्द का’। यूनानी शब्द ‘इन्दिका’ या अंग्रेजी शब्द ‘इण्डिया’ आदि इस ‘हिन्दीक’ के ही विकसित रूप हैं। हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफुद्दीन यज्+दी’ के ‘जफरनामा’(1424) में मिलता है।
       60 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा प्रथम भाषा व 25 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा द्वितीय भाषा के रूप में प्रयोग होने के कारण पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने वाली हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का आन्दोलन अहिन्दी भाषियों (महात्मा गांधी, दयानन्द सरस्वती आदि) ने आरम्भ किया।
        भाषाई विविधता लिए भारत में सरकारी मानदंड के अनुसार बोली जाने वाली 122 भाषाएँ हैं हालाँकि People’s Linguistic Survey of India, के अनुसार भारत में 780 भाषाएँ बोली जाती हैं, इसके अलावा 100 भाषाओँ का और अनुमान है लेकिन भारत सरकार कम से कम 10,000 लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को आधिकारिक रूप से भाषा के रूप में स्वीकारती है. पिछले 50 सालों में 220 भाषाएँ लुप्त हो चुकी हैं जबकि अगले पचास साल में 150 भाषाओँ के लुप्त हो जाने का खतरा है!!
          कारण कई हैं. एक रोचक कारण जानकार आश्चर्य हुआ वो है Criminal Tribes Act, 1871 हालाँकि इस एक्ट को 1952 में समाप्त किया गया लेकिन इससे जनजातीय भाषों को बहुत नुक्सान हुआ जनजातीय लोग इस एक्ट से बचने के लिए अपनी पह्छां छिपाने के भाषा को न बोलने को विवश हुए !! एक्ट के अनुसार कुछ जनजातियों को कृत्य से हटकर जन्म से ही अपराधी घोषित कर दिया गया था . इसके अलावा परिवार में वृद्ध की मृत्यु के उपरांत अगली पीढ़ी द्वारा भाषा का प्रयोग न किया जाना भी भाषा के लुप्त हो जाने का कारण है,
         सर्वे के अनुसार उत्तराखंड में कुमायूँनी, उत्तर प्रदेश व बिहार में भोजपुरी, कर्नाटक में ब्यारी, मेघालय में खासी, गुजरात में कुत्छी , राजस्थान में मेवाती भाषाओँ के बोलने वालों में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है
जबकि महाराष्ट्र में मेहाली, गुजरात में सिदी, सिक्किम में मैही ( इस भाषा को केवल 4 लोग ही बोलते हैं) और असम में दिमासा भाषाएँ लुप्त होने के कगार पर हैं !!


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