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Saturday, 2 April 2016

उम्मीदें



बाल बीथिका ..
          कल नए शैक्षिक सत्र का प्रथम दिवस था विगत सत्र के प्रथम दिवस की भांति इस वर्ष भी बच्चों ने प्रथम दिवस पर कविता लिखने का आग्रह किया लेकिन कार्य अधिकता होने के कारण चाहते हुए भी संभव न हो सका .. लेकिन आज बच्चों ने मजबूर कर दिया ! बाल मन का आग्रह न टाल सका !!
प्रस्तुत है बाल बीथिका में विचरण करते हुए बाल मन की थाह लेने का एक प्रयास " उम्मीदें "

  उम्मीदें

बीत गया अब साल पुराना
नया साल अब आया है
नई – नई कक्षा में हम सब
     नई उम्मीदें लाया है ...
झूम रहे खुश होकर बच्चे
बातें सबकी नई – नई
कक्षा नई किताबें नई हैं
    वर्दी सबकी नई – नई ...

गुजर गया जो साल पुराना
हमको बहुत सिखा गया
नए साल में मेहनत करना
     जाते – जाते बता गया ... .

पढेंगे हम सब मन लगाकर
मिलकर हम सब खेलेंगे
इस कक्षा में मेहनत करके
    स्कूल का मान बढ़ाएंगे ... 


.. विजय जयाड़ा 02.04.16

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