आज बेटे के विद्यालय, सैंट मैरीज सीनियर सेकेंडरी स्कूल में छात्र/छात्राओं को सौंपे गए विभिन्न दायित्वों से सम्बन्धित छात्र/छात्राओं का शपथ ग्रहण कार्यक्रम था. विद्यालय का खेल दायित्व लेने के बाद खेल गतिविधियों में व्यस्तता के कारण बारहवीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी में होने वाले संभावित व्यवधान को समझते हुए .. अनिच्छा के बावजूद भी पुत्र, चैतन्य प्रकाश सिंह जयाड़ा को विद्यालय खेल कप्तान का दायित्व लेने से मना न कर सका. !!
शायद ! बेटे को दायित्व लेने से दृढ़तापूर्वक मना न करने का मुख्य कारण, स्वयं मेरी खेल पृष्ठभूमि का होना भी है।
चैतन्य, विद्यालय फुटबॅाल टीम का कप्तान तो पहले से ही है लेकिन अब विद्यालय के सभी खेलों से जुड़ी व्यवस्थाओं के लिए अध्ययन के साथ-साथ समय निकाल पाना कठिन अवश्य है लेकिन यदि दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो शायद असंभव भी नहीं !
सोचता हूँ, सम्प्पूर्ण व्यक्तित्व निर्माण के क्रम में अध्ययन के साथ-साथ विभिन्न क्रियाकलापों के माध्यम से नेतृत्व का गुण विकसित किया जाना भी बहुत आवश्यक है.
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