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Saturday, 2 April 2016

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन



 

अद्भुत व्यक्तित्व के धनी व सदाशयता की प्रतिमूर्ति 

 डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन

                    सर्वपल्ली राधाकृष्णन तत्कालीन सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे.स्टालिन के हृदय में 'दार्शनिक राजदूत' के प्रति गहरा सम्मान था। स्टालिन के निमंत्रण पर राधाकृष्णन जी की मुलाकात स्टॅलिन से 5 अप्रैल, 1952 को हुई. तब राधारिष्णन जी सोवियत संघ से विदा होने वाले थे। विदा होते समय राधाकृष्णन ने स्टालिन के सिर और पीठ पर हाथ रखा। तब तानाशाह स्टालिन ने कहा था – तुम पहले व्यक्ति हो, जिसने मेरे साथ एक इंसान के रूप में व्यवहार किया हैं और मुझे अमानव अथवा दैत्य नहीं समझा है. तुम्हारे जाने से मैं दुख का अनुभव कर रहा हूँ. मैं चाहता हूँ कि तुम दीर्घायु हो. मैं ज़्यादा नहीं जीना चाहता हूँ. इस समय स्टालिन की आँखों में नमी थी. इस वाकये के छह माह बाद ही स्टालिन की मृत्यु हो गई.
              इस प्रसंग को साझा करने के पीछे यह भावना है कि क्यों न हम स्वयं में एक ऐसे सदाशयी व्यक्तित्व का निर्माण करें जो आत्मचिंतन को मजबूर कर सके और जाति, वर्ण, धर्म, क्षेत्र, भाषा व राजनीतिक मतान्तरों से ऊपर उठकर मानवता और देशहित में समर्पित हो !!


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