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Wednesday 20 April 2016

गुमनाम नायक .... सलीम लंदुर




गुमनाम नायक .... सलीम लंदुर 

खुदी को कर बुलंद इतना के हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है ?
 ..इकबाल 
 
        अपराधी द्वारा प्रयुक्त मोबाइल या मोबाइल की सूचनाओं के माध्यम से अपराधी तक पहुंचना व पुख्ता सबूत एकत्र करना पहले पुलिस के लिए पहाड़ खोद कर चुहिया को खोजने जैसा यत्न था.
           लेकिन बेलगाम के, कॉलेज से अधूरी शिक्षा छोड़ने वाले, 37वर्षीय सलीम लंदुर साहब ने कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त करने के अपने स्वप्न को साकार करने हेतु रातों को ऑटो रिक्शा चलाकर, म्हणत और लगन द्वारा ..यह कठिन कार्य महज एक क्लिक पर कर सकने का सोफ्टवेयर निर्मित कर आसान कर दिया.
        सन 2000 में एक छोटे से कमरे में 1500 रुपये मासिक किराये पर लिए गए कंप्यूटर से कंपनी प्रारंभ करने वाले सलीम साहब आज पुलिस को CDR (Call detail record Analysis ) के आधुनिक सोफ्टवेयर उपलब्ध करा कर राष्ट्र सेवा कर रहे हैं.
        भारत ही नही नाईजीरिया व अल्जीरिया की पुलिस भी सलीम साहब के सोफ्टवेयर के माध्यम से अपराधियों के डिजिटल फुटप्रिंट को खंखाल कर, अपराधियों को पकड़ रही है ....
आपके ज़ज्बे को सलाम .....सलीम साहब ...


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