सादगी व उच्च जीवन मूल्यों की प्रतिमूर्ति : श्री लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री जी ,जब वह छह साल के थे तब की एक घटना बहुत मशहूर हैं.एक दिन, स्कूल से लौट रहे जबकि, लाल बहादुर और अपने दोस्तों के साथ एक बाग़ में चले गए वे पेड़ के नीचे खड़े थे , जबकि उनके दोस्त पेड़ से आम तोड़ने लगे . इस बीच, माली आया और लालबहादुर को पकड लिया. माली ने लाल बहादुर को डांटा पिटाई शुरू कर दी. लाल बहादुर पर दया लेते हुए माली ने कहा, "क्योंकि तुम एक अनाथ हो , तुम्हें बेहतर व्यवहार सीखना चाहिए ." इन शब्दों ने लाल बहादुर पर एक गहरी छाप छोड़ी और उन्होंने भविष्य में बेहतर व्यवहार कसम की खाई और उसे अपनाया.
शास्त्री जी के कार्यकाल में रेल दुर्घटना के बाद संसद में लंबी बहस के उत्तर में दृढ इच्छाशक्ति से भरपूर लालबहादुर शास्त्री ने कहा था, ‘मेरे छोटे कद और मृदुभाषी होने के कारण लोग अक्सर यह समझ लेते हैं कि मैं बहुत दृढ़ नहीं हूं. भले ही मैं शारीरिक रूप से मजबूत नहीं हूं, लेकिन मेरा मानना है कि मैं अंदरूनी तौर पर बहुत कमजोर नहीं हूं.
पिता से जुड़ी कुछ यादें ताजा करते हुए अनिल शास्त्री जी ने बताया था , स्कूल के वक्त में हम लोग तांगे से स्कूल जाते थे और प्रधानमंत्री बनने के बाद हमने कार खरीदने की इच्छा जताई तो उस वक्त 12 हजार रुपए में कार आई थी.मगर बाबूजी के पास केवल सात हजार रुपए थे तो उन्होंने बैंक से पांच हजार ऋण लेकर कार खरीदी थी.
अनिल शास्त्री ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, मैंने जब अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया तो उसे प्रधानमंत्री आवास पर पहुंचा दिया गया. इस पर शास्त्री ने आरटीओ को बुलाया और फटकारते हुए कहा कि बिना ड्राइविंग टेस्ट और सत्यापन के किस आधार पर लाइंसेंस बना दिया गया.
क्या आज के राजनेताओं में इस तरह की नैतिकता की झलक दिखाई पड़ती है ??? क्या किसी राजनेता की आत्मा की आवाज़ इतनी प्रभावशाली है कि कोटिश: देशवासी सप्ताह में एक दिन अन्न का त्याग कर सकें ??यह चिंतन व आत्म मंथन का विषय है ..
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