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Saturday, 2 April 2016

अमर गीतकार, कवि प्रदीप जी



अमर गीतकार, कवि प्रदीप जी  ( 6 फरवरी, 1915 )

          कवि प्रदीप जी का मूल नाम रामचंद्र द्विवेदी था. उस दौर में अभिनेता प्रदीप बहुत लोकप्रिय हुआ करते थे. सूर्यकांत त्रिपाठी जैसे विद्वान कवि के आशीर्वाद के बाद वे रामचंद्र `प्रदीप’ के नाम से जाने जाने लगे. पंडित रामचंद्र द्विवेदी ने बाद में अपना उपनाम `कवि प्रदीप' रख लिया, ताकि अभिनेता प्रदीप कुमार और गीतकार प्रदीप में अंतर आसानी से लोगों की समझ में आ जाए. आरंभ में प्रदीप जी ने गीतकार और गायक दोनों भूमिका में फिल्मों में बुलंदियों के झंडे गाड़े ..
          आज़ादी के बाद 1954 में उन्होंने फ़िल्म 'जागृति' में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को बख़ूबी फ़िल्म के गानों में उतारा. इसे लेखनी का ही कमाल कहेंगे कि जब पाकिस्तान में फ़िल्म 'जागृति' की रीमेक बेदारी बनाई गई तो जो बस देश की जगह मुल्क कर दिया गया और पाकिस्तानी गीत बन गया....हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के, इस मुल्क़ को रखना मेरे बच्चों संभाल के..। कुछ इसी तरह ‘दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल’ की जगह पाकिस्तानी गाना बन गया..... यूँ दी हमें आज़ादी कि दुनिया हुई हैरान, ऐ क़ायदे आज़म तेरा एहसान है एहसास. ऐसे ही था बेदारी का ये पाकिस्तानी गाना....आओ बच्चे सैर कराएँ तुमको पाकिस्तान की, जिसकी खातिर हमने दी क़ुर्बानी लाखों जान की। ये गाना असल में था आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झांकी हिंदुस्तान की...


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