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Saturday 2 April 2016

" सीखना ” किसी खास उम्र का मोहताज नहीं



" सीखना ” किसी खास उम्र का मोहताज नहीं

          जीवन में कुछ क्षेत्र अछूते रह जाते हैं, मेरे जीवन में ऐसा ही एक क्षेत्र तैराकी भी था. यदि हम थोडा संजीदा रहें तो सीखना एक जीवन पर्यंत चलने वाली सतत प्रक्रिया है. ज़ज्बा और लगन हो तो “सीखना” किसी उम्र विशेष का मोहताज नहीं!! लेकिन व्यवहार में कमोवेश उलट ही है, हम उम्र को लेकर ही अधिक संजीदा रहते हैं !! इस कारण कई सीखने योग्य कृत्य को भी ऊम्र का वास्ता देकर नजरअंदाज कर देते हैं
        जब भी दूसरों को तैरता हुआ देखता था.. मन बहुत कौतुहलित व उत्सुक हो जाता था.. लेकिन !!
दिल्ली में स्विमिंग पूल में बहुत कोशिश की लेकिन सीख नहीं पाया !!
       अबकी बार ठान लिया की इस क्षेत्र में महारत तो हासिल नही कर पाउँगा लेकिन दखलंदाजी करने का प्रयास तो कर ही सकता हूँ ...बेटा भी तैरना नही जानता था इसलिए चल पड़ा बच्चों की टोली लेकर, प्रकृति की गोद में बहती ह्यूंल नदी के तट पर !! मैं खड़े-खड़े छपाक-छपाक पानी में हाथ मारता और बच्चे मुझे देखकर जोर-जोर से हँसते !!! मैं स्वयं भी अपनी अनभिज्ञता पर खूब हँसता !! बहुत प्रयास करने के बाद मुझमे आत्मविश्वास आ पाया. परिणाम !! अब मैं और चैतन्य मुसीबत में भयभीत होने के बजाय तैर कर तट तक पहुँचने का प्रयास अवश्य कर सकते हैं .


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